शनिवार, 31 मार्च 2018



जातिवाद -खत्म हो रहा भाईचारा
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आधुनिक भौतिक युग में जातिवाद खत्म होना चाहिए था लेकिन खत्म होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। सत्ता की

भूख इसे बढ़ा रही है। जब -जब चुनाव निकट आते हैं तब -तब जातिवादी हिंसा बढ़ जाती है। अधिकांश

राजनैतिक दल इसमें भागीदार होते हैं।

विभिन्न दलों के नेतागण यह नहीं सोचते की इसका अंजाम क्या होगा ? जातिवाद का ज़हर घोल सत्ता प्राप्त करने

वाले नेतागण अपनी उसी जाति के विकास के लिए कार्य नहीं करते जिसके बल पर उन्होंने सत्ता प्राप्त की।

इसलिए कुछ जातियाँ दशकों से गरीबी का दंश झेल रही हैं। इन पिछड़ी जातियों में सिर्फ लोग मदद या आरक्षण

से आगे बढ़ जाते हैं बाकि कौम जहां की तहँ ही रह जाती है। आरक्षण का लाभ आर्थिक आधार पर न होकर

मिलीभगत तक सीमित रह जाता है।

आजकल सोशल मिडिया पर जातिवाद संबंधित अनेक संदेश आ रहे हैं। उनके जबाब में दूसरे पक्ष के संदेश

प्रसारित हो रहे हैं। समझ में नहीं आता की ऐसा कब तक चलेगा ?ऐसे तो समाज में से भाई चारा खत्म होकर

मनमुटाव ही फ़ैल रहा है।

जनता जनार्दन भी बिना सोचे समझे इन बरगलाने वाले नेताओं का साथ देने सड़को पर आ जाती है। जबकि

ऐसे नेताओ द्वारा किसी का भला न हुआ है ना ही होगा। क्योकि इन नेताओ को अपनी कौम की चिंता नहीं है

इन्हे तो सिर्फ अपनी नेतागिरी चमकानी होती है।

सरकारें बदलती रहती हैं। कोई भी सरकार सभी के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकती। जनता को मूलभूत

सुविधाएँ ही मिल जाए यही बहुत बड़ी बात होती है। सभी के विकास के लिए तो सभी को सार्थक प्रयास

करने होंगे। सिर्फ सरकारी मदद के भरोसे तो कुछ होने वाला नहीं है। आज़ादी के ७० सालों बाद भी गरीब

गरीब ही क्यों है ,यह भी बहुत चिंतनीय बात है।

देश की जनता एक दूसरे की पूरक है। सभी के कार्य आपसी सहयोग से होते हैं। एक दूजे के बिना किसी

का गुजारा नहीं। फिर क्यों हम सत्ता के भूखे नेताओ की बातों में आकर आपस में लड़ रहे हैं। मिडिया पर

जातिवाद के कटु संदेश आपस का भाईचारा खत्म कर रहे हैं। इस आधुनिक युग में जातिवाद खत्म हो जाना

चाहिए। प्रत्येक धर्म वालों को आपसी सदभाव बनाने के प्रयास करने चाहिए। वरना इस पर मेरा चिंतनशील

हाइकु *******    ले ही डूबेगा
                            जात पात का भेद
                             हम सभी को

                          *सुनील जैन राना *




गुरुवार, 29 मार्च 2018



भगवान महावीर के जनमोत्स्व पर कुछ सुन्दर हाइकु
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दिया संदेश
जियो और जीने दो
महावीर नें

वीर की वाणी
अहिंसा मयी धर्म
सबके लिये

जैन धर्म है
विश्व शान्ति का मूल
अहिंसा धर्म

*सुनील जैन राना *


गुरुवार, 22 मार्च 2018





* संविधान में हिन्दू *
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आज़ादी के ७० साल बाद भी देश में से जातिवाद कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है या यो कहिये की वोटों

की राजनीति के कारण बढ़ाया जा रहा है। नेतागण सत्ता प्राप्ति हेतू नये -नये हथकंडे अपना रहे हैं। बस किसी

भी तरह कुर्सी मिल जाए यही उद्देश्य रह गया है। अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जनता को जनता से

लड़वाया जा रहा है।

अल्पसंख्यक स्वरूप -आरक्षण  का फायदा उससे निहित सम्पूर्ण जाति को ना मिला है और ना ही मिलेगा। सिर्फ

इन वर्गो की क्रीमी लेयर इसका फायदा उठा रही है। भविष्य में भी सिर्फ कुछ ही परिवारों को लगातार पदोन्नति

का फ़ायदा मिलता रहता है। बाकि पूरी कौम जहां की तहँ रह जाती है। यही नहीं बल्कि ऐसा भी देखने में आता

है की लाभार्थी अब ऊँचे पद पर आ जाने के बाद से अपने गांव -शहर -इलाके में भी जाना पसंद नहीं करता।

यही कारण है की अल्पसंख्यक /आरक्षण निहित जाति के भारतीय आज भी जस के तस हैं। इनके नेतागण भी

इनके उत्थान के लिए खास प्रयास नहीं करते। करोड़ो लोगो में से सिर्फ कुछ ही को नौकरी मिल पाती है। बाकि

सभी अपने हालात पर जीवित हैं।

अब बात करें बहुसंख्यक वर्ग की जिसे हिंदू भी कहा जाता है। अज़ीब हाल है इनका। अनेकों जातियों में बटा

हिंदू समुदाय कहीं का भी ना रहा। जातियों के अनुसार देंखे तो इनकी संख्या आरक्षित जाति और अल्पसंख्यक

जातियों की संख्या से भी कम हो सकती है।

इस हिसाब से हिन्दुओं में निहित सभी जातियां अल्पसंख्यक /आरक्षण के दायरे में आ सकती हैं ?सरकार को

इस पर विचार भी करना ही चाहिए। आज ज्वलंत राजनीति के कारण अपने फायदे के लिए जातियों में बांटकर

आपस में ही लड़वाया जा रहा है। ऐसा होना देश की एकता के लिए बहुत घातक हो सकता है।

सरकार को चाहिये आरक्षण को आर्थिक आधार पर दिया जाये ताकि ग़रीब और ग़रीबी से निचले तबके को

उसका फायदा मिले। बहुसंख्यक में निहित सभी छोटी -छोटी जातियों को अल्पसंख्यक स्वरूप प्रदान करें

जिससे सभी के साथ समानता का व्यवहार हो सके। सरकार की नीतियों से सभी लाभन्वित हो सकें।

ऐसा करने से जातिवाद का भेदभाव कम होगा। सभी समान रूप से रह सकेंगे। नेताओं को जातिवादी राजनीति

छोड़कर जनहित में रचनात्मक राजनीति करने को मजबूर होना पड़ेगा।                             *सुनील जैन राना *

शुक्रवार, 16 मार्च 2018

गुरुवार, 15 मार्च 2018



कर्म की बातें तो रोज होती हैं

अब कुछ दिन धर्म की बातें हो जायें
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आज इन्सान कुछ कारणों से परेशान रहता है।

सब कुछ होते हुए भी और ज्यादा की चाहत

के कारण ही वह जाने -अनजाने चार कषायों

और पाँच पापों में उलझा रहता है।

चार कषाये -क्रोध ,मान ,माया ,लोभ

पाँच पाप -हिंसा ,झूठ ,चोरी ,कुशील ,परिग्रह।

आज हम सबसे प्रथम पाप क्रोध के विषय में चर्चा करेंगे।

*जैन धर्म* पर मेरे द्वारा लिखित पुस्तक से कुछ अंश ***



क्रोध से हानि पर कल चर्चा करेंगे।  जय जिनेन्द्र।


बुधवार, 14 मार्च 2018



उपचुनावों में बीजेपी की हार
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उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में बीजेपी को करारी हार मिली है।

सपा -बसपा गठजोड़ रंग लाया है। कांग्रेस को जनता ने नकार

दिया है।

अब कुछ समीक्षा में लगे हैं तो कुछ आगे  रणनीति बनाने में

जुट गए हैं। बीजेपी कुछ ज्यादा ही आत्म विश्वास के कारण

हारी। कांग्रेस के घोटाले आज भी जनता देख रही है और

राहुल गांधी के बयान सुन रही है। यही सब कांग्रेस की हार

के जिम्मेदार लगते हैं। कांग्रेस का अपना वज़ूद खत्म होता

जा रहा है। दूसरों की बैसाखियों पर कब तक चलेगी कांग्रेस?

मोदीजी की नीतियाँ देश के विकास में सहायक तो हैं लेकिन

जनता को हर तरफ से हो रही पाबंदियां पसंद नहीं आ रही।

आम आदमी और व्यापारी शायद भ्र्ष्टाचार वाले युग से ही

खुश लगता है। वैसे भी भ्र्ष्टाचार मुक्त भारत एक सपना ही

लगता है। नोटबंदी -जीएसटी के बावजूद आज भी बिना बिल

के कोई भी सामान कितनी भी तादाद में लिया जा सकता है।

देने वाला भी खुश -लेने वाला भी खुश। 

शनिवार, 10 मार्च 2018


मोदीजी बनाम राहुल गाँधी
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*सम्पूर्ण विश्व मोदीजी के कार्यो -नीतियों की सराहना कर रहा है।

**राहुल गाँधी विदेश में जाकर मोदीजी की आलोचना में लगे हैं।

*मोदीजी विश्व के अनेकों देशों में जाकर भारत का मान बढ़ा रहे हैं।

**राहुल गाँधी विदेशों में जाकर भारत की ग़रीबी का रोना रो रहे हैं।

*मोदीजी विदेश जाकर देशहित की योजनाओं पर बात करते हैं।

**राहुल गाँधी विदेश में सिर्फ मोदीजी के विरोध की बाते करते हैं।

*मोदीजी भष्टाचार रहित कार्यप्रणाली को अपनाकर आगे बढ़ रहे हैं।

**राहुल गाँधी बीजेपी सरकार के हर कार्य में भ्र्ष्टाचार ढूढ़ने में लगे हैं।

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मोदीजी की कार्यप्रणाली में कोई भ्र्ष्टाचार व्याप्त नहीं है। ऊपरी स्तर

पर सभी निर्णय देशहित को ध्यान में रखकर लिए जा रहे हैं। सभी

निर्णय सभी को अच्छे लगे या सभी के हित में हो ऐसा सम्भव नहीं

होता है। हो सकता है कुछ निर्णय समय के अनुकूल न हो लेकिन

इस बात से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। विपक्ष को आलोचना का

अधिकार है ,गलत कार्यो की आलोचना होनी भी चाहिए लेकिन हर

बात में आलोचना करना ठीक है। अच्छे कार्यो की सराहना भी होनी

चाहिए। बस यही फर्क हो रहा है विपक्ष और जनता में। विपक्ष सिर्फ

आलोचना में लगा है जबकि जनता /गैर बीजेपी जनता भी मोदीजी

के कार्यो की सराहना कर रही है और मोदीजी का साथ दे रही है।
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गुरुवार, 8 मार्च 2018



अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कुछ सुंदर हाइकु
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महिलाओं पर जुल्म तो होते हैं लेकिन महिला भी कम नहीं

कोख में नारी
मार देती है नारी
माँ नहीं ना री

बेटी बचेगी तभी महिला बनेगी

बेटी बचाओ
नवजीवन लाओ
सुख से रहो

बेटी के जन्म पर खुशियाँ मनाओ

बिटियाँ धन
जिसकी किस्मत में
वही अमीर

निवेदक - सुनील जैन राना 

बुधवार, 7 मार्च 2018



स्थापित मूर्तियाँ तोडना धर्म सम्मत /न्याय सम्मत नहीं
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देश में कुछ जगह विदेशी नेताओं की मूर्तियाँ तोड़ी जा रही हैं। इससे भारतीय राजनीति में उबाल सा आ रहा है।

पक्ष -विपक्ष में घमासान जारी है। मोदी सरकार ने भी मूर्ति तोड़ने की निंदा की है और राज्य सरकार को

आवश्यक कार्यवाही के निर्देश भी दिए हैं।

यह ठीक है की पहले से लगी किसी की भी मूर्ति तोडना न तो धर्म सम्मत है और न ही न्याय सम्मत है। विपक्ष के

कई दिग्गज नेता इस पर बहुत कटु बयान दे रहे हैं। जिस पर बीजेपी सरकार के नेता और प्रवक्ताओं ने भी मुँह

तोड़ जबाब दिया है। कहा है की जब कांग्रेस सरकार में बाबा अम्बेडकर समेत कई महा पुरुषो की मूर्तियाँ

खंडित की गई तब ये सब नेता क्यों नहीं बोले ?


मंगलवार, 6 मार्च 2018



स्वार्थपूर्ण गठबंधन
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बीजेपी के मोदी रथ को रोकने के लिए

NDA विरोधी सभी दल मिलकर आपस

में महागठबंधन बनाने को आतुर हैं।

लेकिन यह आतुरता चुनाव आते ही टिकटों

के बटवारे के समय विवाद में बदल जाती है।

उप्र के उपचुनावों में बीजेपी से पार पाने को

आपस में धुरविरोधी सपा और बसपा ने हाथ

मिलाकर आपस में सहयोग करने की अपील

की। कांग्रेस को साथ नहीं लिया। इसपर तुरंत

कांग्रेस के राज बब्बर ने सपा -बसपा के गठ

बंधन को स्वार्थपूर्ण करार दे दिया। अब यदि

कल को सपा -बसपा उन्हें यानि कांग्रेस को

साथ ले लेगी तब शायद यह गठबंधन देशहित

में कहलायेगा ?

रविवार, 4 मार्च 2018





राजनीति
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मोदी लहर को रोकने के लिए सत्ता से बाहर हुए दल ऐसे छटपटा रहे हैं जैसे मोदीजी ने इनकी भैंस खोल ली हो।

प्रत्येक राज्यों में NDA विरोधी आपस की धुरविरोधी मानसिकता को ताक पर रख एकजुटता बनाने में लगे हैं।

पहले भी ऐसे अनेको प्रयास हो चुके हैं। कभी गठबंधन तो कभी महागठबंधन। लेकिन विचारधारा की भिन्नता

और चुनाव के समय टिकटों का बटंवारा महागठबंधन की सारी पोल खोल देता है। जनता  बता देता है की यह

मेलमिलाप सिर्फ सत्ता को पाने के लिये और किसी भी तरह सत्ता में रहने के लिए हुआ है।इससे उनके वोट देने

वालो को कोई फायदा न होगा। ऐसी हो गई है राजनीति।

शनिवार, 3 मार्च 2018



देश हो रहा है -बीजेपी युक्त -कांग्रेस मुक्त
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पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में हुए चुनावों के परिणाम

लगभग आ ही गए हैं। त्रिपुरा में बीजेपी को बहुमत

मिल रहा है। नगालैंड में बहुमत के करीब है। मेघालय

में बीजेपी को सिर्फ २ सीट से संतोष करना पड़ रहा है।


अब देश में ऐसा हो रहा है की देश बीजेपी युक्त हो रहा

है और कांग्रेस मुक्त हो रहा है। कांग्रेस के युवराज एवं

अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी नानी के गये हुए हैं। कहकर

गये हैं की नानी को सरप्राइज देना है। सोशल मिडिया

में राहुल गांधी के ऐसे समय पर नानी के जाने और

सरप्राइज देने की बख़िया उधेड़ी जा रही हैं। शायद

राहुल गांधी गांधी जी के सपने को पूरा करने में लगे हैं।

गांधीजी ने आज़ादी मिलने के बाद कहा था की अब

कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए। उसी हिसाब से अब

देश कांग्रेस मुक्त होता जा रहा है और बीजेपी युक्त

होता जा रहा है। 

शुक्रवार, 2 मार्च 2018



होली पर सुंदर हाइकु
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ज्ञान गुलाल
परोपकारी रंग
होली के संग
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लगा के रंग
तन धोया सबने
धोया न मन
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होली दहन
जलाया अहंकार
जली कषायें
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मानसिकता बदलो

10 वर्ष पूर्व 4 लाख रुपये में लिया घर आज 40 लाख में बेचना है, परन्तु 10 वर्ष पूर्व 400 रुपये में मिलने वाला गैस सिलैंडर आज भी 400 रुपये में ...